Friday, 23 May 2014

Thursday, 3 April 2014

साथियां साथ निभाना 

सात फेरे सात जन्मों का साथ 
रिश्ते कोई धागे नहीं ,
     ज़रा सा खीचें और टूट जाएं। 
     इस लिए साथियां साथ निभाना।
रिश्तें कोई जिस्म नहीं कि 
मुह फेर ली और सब ख़तम हो गया
     इस लिए साथियां साथ निभाना।
क्या पाया था क्या खोया 
क्या चाहा था क्या मिला ,
कितने ही टूटे सपने 
कितने ही किरचें चुभे 
      कल भी लोगों ने निभाया था 
      हमें भी विरासत को अपनाना होगा। 
     इस लिए साथियां साथ निभाना।
हम तुम्हें गुण दोष सहित अपनाये 
तुम हमें गुण दोष सहित अपनाओ
इस लिए साथियां साथ निभाना।
        चाहे लाख तूफ़ा आयें
         चाहे जान भी चली जाये 
आखिरी साँसों तक इस लिए साथियां साथ निभाना।



Published in Uttar Ujala 20 march 2014 

 


 

Saturday, 29 March 2014

प्रकृति से सीखें


फूलों से हम हसना सीखें,
भौरों से हम गाना। 
सूरज कि किरणों  से सीखें,
जगना  और जगाना। 
सागर कि लहरो से सीखें,
गिर कर फिर उठ  जाना।
 सावन कि बहार से सीखें ,
हर मौसम में जीना। 
कोयल कि बोली से सीखें,
सबके मन को लुभाना।
बाचों की किलकारी से सीखें,
निश्छल मन का पाना।
हिमालय कि छोटी से सीखें,
प्रहरी बन कर खड़े रहना।
मिटटी के नन्हे दिए से सीखें,
जल कर भी जग रोशन कर जाना।


Published in Rupayan Date : 6 Sept 2013