Its not too long that I've started writing poem. Just six months or so.....I really want people to read my poems and give their honest responses...what you feel about my writing and what else I need to incorporate in my writings...your field of interest...frens I am waiting for your response eagerly....:)
Saturday, 27 September 2014
Thursday, 25 September 2014
Monday, 4 August 2014
Thursday, 31 July 2014
Wednesday, 23 July 2014
Thursday, 5 June 2014
Friday, 23 May 2014
Friday, 9 May 2014
Thursday, 1 May 2014
Thursday, 3 April 2014
साथियां साथ निभाना
सात फेरे सात जन्मों का साथ
रिश्ते कोई धागे नहीं ,
ज़रा सा खीचें और टूट जाएं।
इस लिए साथियां साथ निभाना।
मुह फेर ली और सब ख़तम हो गया
इस लिए साथियां साथ निभाना।
क्या पाया था क्या खोया
इस लिए साथियां साथ निभाना।
क्या पाया था क्या खोया
क्या चाहा था क्या मिला ,
कितने ही टूटे सपने
कितने ही किरचें चुभे
कल भी लोगों ने निभाया था
हमें भी विरासत को अपनाना होगा।
इस लिए साथियां साथ निभाना।
इस लिए साथियां साथ निभाना।
हम तुम्हें गुण दोष सहित अपनाये
तुम हमें गुण दोष सहित अपनाओ
इस लिए साथियां साथ निभाना।
चाहे लाख तूफ़ा आयें
चाहे जान भी चली जाये
आखिरी साँसों तक इस लिए साथियां साथ निभाना।
Published in Uttar Ujala 20 march 2014
Saturday, 29 March 2014
प्रकृति से सीखें
फूलों से हम हसना सीखें,
भौरों से हम गाना।
सूरज कि किरणों से सीखें,
जगना और जगाना।
सागर कि लहरो से सीखें,
गिर कर फिर उठ जाना।
सावन कि बहार से सीखें ,
हर मौसम में जीना।
कोयल कि बोली से सीखें,
सबके मन को लुभाना।
बाचों की किलकारी से सीखें,
निश्छल मन का पाना।
हिमालय कि छोटी से सीखें,
प्रहरी बन कर खड़े रहना।
मिटटी के नन्हे दिए से सीखें,
जल कर भी जग रोशन कर जाना।
Published in Rupayan Date : 6 Sept 2013
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