Friday, 9 June 2017

पहले घर हुआ करते थे मकान नहीं


पहले घर हुआ करते थे
मकान नहीं
अब मकान हुआ करते है,
घर नहीं
अब आलिशान मकान की भीड़ में
मिलता नहीं घर
उस घर में मिलता नहीं
संयुक्त परिवार
मिलता है तो बस,
कलह, कलेश -कोलाहल
मिलता नहीं प्यार और शांति
मकान में तो मिलता है ,
आधा अधूरा परिवार
माँ बाप है दादा -दादी  नहीं
नाना-नानी नहीं
चारो तरफ सन्नाटा ही सन्नाटा
इस लिए पहले घर हुआ करते थे
मकान नहीं