शब्दों की कोई सरहद नहीं होती
शब्दों की कोई सरहद नहीं होती
शब्द एक देश से दूसरे देश बिना रोक टोक जाती
शब्द सात समंदर से आते है
इन्ही शब्दों से एक रचना बन जाती
जो कविता कहलाती है
शब्दों की कोई सरहद नहीं होती
बिना रोक टोक आती जाती है
शब्द ही है जो सदियों तक यूँ ही चलते
बिना किसी रुकावट
बिना किसी झिझक के
शब्दों की कोई सरहद नहीं होती
शब्द एक ठंडी हवा की तरह है
जो सबको सराबोर कर देती है
शब्द जात-पात नहीं देखती
वो सबसे जुड़ जाती है
शब्दों की कोई सरहद नहीं होती