Wednesday, 6 January 2016

शब्दों की कोई सरहद नहीं होती


शब्दों की कोई सरहद नहीं होती
शब्द एक देश से दूसरे देश बिना रोक टोक जाती
शब्द सात समंदर से आते है
इन्ही शब्दों से एक रचना बन जाती
जो कविता कहलाती है
शब्दों की कोई सरहद नहीं होती
बिना रोक टोक आती जाती है
शब्द ही है जो सदियों तक यूँ ही चलते
बिना किसी रुकावट
बिना किसी झिझक के
शब्दों की कोई सरहद नहीं होती
शब्द एक ठंडी हवा  की तरह है
जो सबको सराबोर कर  देती है
शब्द जात-पात नहीं देखती
वो सबसे जुड़ जाती है
शब्दों की कोई सरहद नहीं होती

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