Friday, 19 February 2016

हुश्न पहाड़ो का

हुश्न पहाड़ो का 
हुश्न पहाड़ो का 
मौसम है जाड़ों का 
मौसम है स्वेटर पहनने का 
बर्फ यहाँ जब पड़ती है 
जैसे पृथ्वी सफ़ेद चादर से लिपटी है
जल और थल में
अवनी और अम्बर तल में
स्वच्छ चाँदनी फैली है
बड़ा ही बिहंगम दृश्य है
यह देख मन मयूर नाच उठता है
हर समय यही देखने का जी करता है
इस अनमोल शीत ऋतु का
बार बार अभिनन्दन

देशद्रोहियों सुनो

देशद्रोहियों सुनो
अगर तुम में थोड़ी भी शर्म है
तो देश द्रोही नारे बंद करो
अगर तिरंगे का अपमान करोगे
अफजल की तरह मारे जाओगे 
देश द्रोहियों जिस थाली में कहते हो
उसी में छेद करते हो
तुम्हे जीने का कोई हक़ नहीं
तुम फांसी पर लटका दिए जाओगे