Thursday, 17 March 2016

जाये तो जाये कैसे

जाये तो जाये कैसे

रंग बिरंगी होली आई
     रिश्तेदार और दोस्त है बहुत दूर
उनसे रंग खेलने की इच्छा हुई
     उनके पास जाये तो जाये कैसे
ट्रेनों में रिजर्वेशन नहीं
     किसी तरह पहुंच भी जाये
तो रिश्तों नातो में प्रेम कहाँ से लाए
     इस लिए रंग-गुलाल चढ़ता नहीं
हवाओ में उमंग नहीं
     मिठाई में मिठास नहीं
चेहरे खिले नहीं,खुशियाँ बटी नहीं
      दोस्तों- रिश्तो में उतना प्रेम नहीं
जाये तो जाये कैसे