जाये तो
जाये कैसे
रंग
बिरंगी होली आई
रिश्तेदार और दोस्त है बहुत दूर
उनसे
रंग खेलने की इच्छा हुई
उनके पास जाये तो जाये कैसे
ट्रेनों
में रिजर्वेशन नहीं
किसी तरह पहुंच भी जाये
तो
रिश्तों नातो में प्रेम कहाँ से लाए
इस लिए रंग-गुलाल चढ़ता नहीं
हवाओ
में उमंग नहीं
मिठाई में मिठास नहीं
चेहरे
खिले नहीं,खुशियाँ बटी नहीं
दोस्तों- रिश्तो में उतना
प्रेम नहीं
जाये तो
जाये कैसे
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