Saturday, 23 May 2015

कन्या भ्रूण हत्या अपराध हैं

लक्षी दुर्गा काली सरस्वती और सीता को पूजने वाले इस देश में निरंतर बढ़ रही कन्या  भ्रूण हत्या के चलते आज ममता और शक्ति का प्रतीक माने जाने वाली स्त्रियों का अस्तित्व ही गहरे संकट में हैं । लड़को की अपेक्षा लड़कियों की संख्या तेज़ी से गिरती जा रही है। पिछले एक दशक में १५ लाख कन्या भ्रूणों की हत्या हुई हैं ।

आइये आपको एक घटना से अवगत करा दे। रमेश और रचना (परिवर्तित नाम) की शादी को ४ वर्ष हो चुके है। दोनों पढ़े लिखे ऊँचे पदों पर कार्यरत हैं. उनकी पहली संतान एक कन्या हैं। मगर बेटे की चाह में रचाना  ३ बार गर्भपात करवा चुकी है। क्युकि तीन बार गर्भ में कन्या भ्रूण था। आश्चर्य की बात ये है की दोनों को अपने किये पर कोई पछतावा नहीं है।

इतने कानून बने है। सजा का प्रावधान भी हैं. फिर कैसे लोग इतनी आसानी से कन्या भ्रूण हत्याएं करवा लेते हैं। लाखों बेटियां संसार में आने से पहले ही मार दी जाती हैं। ये नहीं सोचते की अगर बेटी ही नहीं होगी तो पुरुष भी नहीं होगा। क्योकि किसी की पत्नी बनकर ही वो बेटे या बेटी को जन्म देती हैं। जन्म के बाद भी कन्याएं आशुरक्षित हैं।

यहाँ तक की कन्या को जन्म देने वाली माँ को भी बहुत कुछ सहना पड़ता हैं। हमारे देश में आम लोगों का कहना हैं की दहेज़ जैसी कुप्रथा के चलते लड़की का जनम दुखदायी मन जाता है। और लड़को को बुढ़ापे का सहारा मन जाता हैं। वंश बढ़ने की छह के चलते पुत्र प्राप्ति को आतुर हमारा समाज शायद जब तक होश में आये तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। 
बेटा जनने वाली स्त्रियां ही नहीं रहेंगी फिर कौन बढ़ाएगा इनका वंश ????

kalyugi murga


Friday, 15 May 2015

माँ



    माँ का मतलब "ममता". ममता का कोई मोल नहीं। माँ शब्द में पूरा ब्रम्हांड समय है. माँ सिर्फ एक शब्द नहीं पूरी संस्कृति हैं। शिष्टाचार सदाचार संस्कार और व्यवहार जो बातें हम  बचपन में सीखते है, उसे सीखने वाली और कोई नहीं माँ होती है। माँ सिर्फ जन्मदात्री ही नहीं हमारे संस्कार की जननी है।  माँ ही है जो सच और  समझती हैं। आभाव  में मुश्कुराना सिखाती है।  दया और तयाग का पाठ पढ़ाती  हैं। माँ कभी गलत काम करने पे डांटती  तो कभी प्यार से समझती भी हैं।  माँ जो करती हों उसमे बच्चों  की भलाई छिपी रहती हैं।  सबसे महान है। माँ के साथ बच्चे का भावनातमक रिश्ता होता है, जो आपसी समझ का आधार बनता हैं। माँ ही हैं जो बच्चो में उत्साह उमंग भर्ती हैं। माँ बच्चों की प्रेरणा हैं।  उसे सफलता के शिखर पे पहुचती है।  माँ ही दोस्त है, अच्छी सलाहकार हैं. दुःख हो या सुख या कोई भी परिस्थति में माँ सुरक्षा कवच हैं। माँ का सदभाव  देख कर श्रद्धा से मस्तक झुक जाता हैं। इसलिए माँ का कभी नहीं करना चाहिए। उनका ऋण कभी चुकाया नहीं जा सकता।

               "माँ तुझे मेरा शत-शत नमन"