माँ का मतलब "ममता". ममता का कोई मोल नहीं। माँ शब्द में पूरा ब्रम्हांड समय है. माँ सिर्फ एक शब्द नहीं पूरी संस्कृति हैं। शिष्टाचार सदाचार संस्कार और व्यवहार जो बातें हम बचपन में सीखते है, उसे सीखने वाली और कोई नहीं माँ होती है। माँ सिर्फ जन्मदात्री ही नहीं हमारे संस्कार की जननी है। माँ ही है जो सच और समझती हैं। आभाव में मुश्कुराना सिखाती है। दया और तयाग का पाठ पढ़ाती हैं। माँ कभी गलत काम करने पे डांटती तो कभी प्यार से समझती भी हैं। माँ जो करती हों उसमे बच्चों की भलाई छिपी रहती हैं। सबसे महान है। माँ के साथ बच्चे का भावनातमक रिश्ता होता है, जो आपसी समझ का आधार बनता हैं। माँ ही हैं जो बच्चो में उत्साह उमंग भर्ती हैं। माँ बच्चों की प्रेरणा हैं। उसे सफलता के शिखर पे पहुचती है। माँ ही दोस्त है, अच्छी सलाहकार हैं. दुःख हो या सुख या कोई भी परिस्थति में माँ सुरक्षा कवच हैं। माँ का सदभाव देख कर श्रद्धा से मस्तक झुक जाता हैं। इसलिए माँ का कभी नहीं करना चाहिए। उनका ऋण कभी चुकाया नहीं जा सकता।
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