Wednesday, 27 July 2016

याद

                                      याद 

                                     '' अतीत की अच्छी यादो को
                                                 ह्रदय में सहेज कर रखना
                                     अतीत की कड़वी बातों को
                                                 कभी याद मत करना
                                     उसे थोथा समझ उड़ा देना
                                                 अच्छी यादें ही देती है हौसला
                                    पुनः जीने का बनती है सहारा ''   

Saturday, 16 July 2016

रैन बसेरा

रैन बसेरा

शाम का झुट पुटा था
संध्या रानी के साथ
सूरज रंगो की होली खेल कर
पश्चिम की घाटी में छिप  रहा था
पक्षी,अपने अपने रैन बसेरो में
जाने को आतुर हो कर
बड़े जोर शोर से चहक-चहक कर
पेड़ पौधों को कर रहे थे गुंजारित
अपने संगी-साथी के साथ
रात बिताने को आतुर
रैन बसेरा होता है कितना सुखदायी

प्रिय तुम क्यों चली गई

प्रिय तुम क्यों चली गई

प्रिय तुम क्यों चली गई
मुझे तन्हा छोड़ कर
ता उम्र साथ रहने का वादा किया
उस वादे का क्या हुआ
अकेले घर की दीवार भी लगती है काटने
घर के कोने भी लगते हैं सिसकने
खिड़की दरवाजे भी रहते है खामोश
ये हवाए भी आग उगलती है
प्रिय तुम क्यों चली गई
मुझे इस विरह की आग में जलने को
तुम्हारी याद में ये बेजान चीजे भी है  तड़फाती
जीवन में बड़ा अधूरा पण लगता है
सब सूना-सूना लगता है
प्रिय तुम क्यों चली गई
हमारी दुनिया विरान कर गई
ऐसी कौन गलती हुई
जो मुझे इतनी बड़ी सजा मिली
यही मुझे ईश्वर से है शिकायत
प्रिय तुम क्यों चली गई
मुझे भी अपने पास बुला ले
जिससे मुझे भी सुकून मिले

हुस्न है बेजोड़

हुस्न है बेजोड़

तेरे हुस्न की क्या बात कहे
हुस्न तो है बेजोड़
अगर हम तुम्हे चाँद कह दे
तो उसमे भी दाग है
अगर हम सूरज कह दे
तो उसमे भी आग है
तेरे हुस्न की क्या बात कहे
हुस्न तो है बेजोड़
अगर हम तुम्हे फूल कह दे
तो वो भी मुरझा जाते है
अगर हम तुम्हे ओस की बूंद कह दे
तो वो भी बिखर जाते है
तेरे हुस्न की क्या बात कहे
हुस्न तो है बेजोड़
अगर हम तुम्हे महकता गुलशन कह दे
तो वो भी पतझड़ में उजड़ जाते है
तेरा हुस्न तो है बेजोड़

प्रकृति की शरारत

प्रकृति की शरारत

सावन का महीना
कभी धूप कही छाँव
कभी गर्मी कभी सर्दी
इसी बीच अचानक
घनघोर घटा छा गई
बादल आ कर बरस गया
मेरे तन मन को भिगो गया
यह सब देख सूरज मुस्कराया
बादलों के बीच से सूरज निकल आया
अपनी तपती धूप से
सबको झुलसा गया
सूरज की इस शरारत पर
 पवन को दया आयी
उसने अपने मन्द-मन्द झोको से
मेरे मन को आनंदित किया
यह देख मैं दंग रह गई
और देखती  रह गई प्रकृति
के इस शरारत को  

लक्ष्य प्राप्ति का मार्ग बार बार अभ्यास

लक्ष्य प्राप्ति का मार्ग बार बार अभ्यास

लक्ष्य प्राप्ति का मार्ग है
बार- बार अभ्यास
सफलता का राज है
बार- बार अभ्यास
हमें मिलती है ताकत
सही अभ्यास से
किसी भी उपलब्धि तक पहुँचने में
सहायक होता है अभ्यास
किसी भी चीज को जीवन में
उतार सकता है बार-बार अभ्यास
असम्भव को सम्भव कर दे अभ्यास
मंजिल तक पहुँचने का मार्ग है
बार- बार अभ्यास

Tuesday, 12 July 2016

बेटी

बेटी 
वो आँगन है सूना 
जहाँ होती नहीं है बेटी 
वो लोग बदनसीब है 
जिनके होती नहीं है बेटी 
सुबह की किरण है बेटी
फूलों की मुस्कान है बेटी
वो लोग बदनसीब है
जिनके होती नहीं है बेटी
ओश की बून्द है बेटी
घर की बुनियाद है बेटी
अनेक रिश्तों का नाम है बेटी
दोनों कुल का लाज रखती है बेटी
भ्रूण हत्या मत करो कहती है बेटी
वो आँगन है सूना ........