Saturday, 16 July 2016

हुस्न है बेजोड़

हुस्न है बेजोड़

तेरे हुस्न की क्या बात कहे
हुस्न तो है बेजोड़
अगर हम तुम्हे चाँद कह दे
तो उसमे भी दाग है
अगर हम सूरज कह दे
तो उसमे भी आग है
तेरे हुस्न की क्या बात कहे
हुस्न तो है बेजोड़
अगर हम तुम्हे फूल कह दे
तो वो भी मुरझा जाते है
अगर हम तुम्हे ओस की बूंद कह दे
तो वो भी बिखर जाते है
तेरे हुस्न की क्या बात कहे
हुस्न तो है बेजोड़
अगर हम तुम्हे महकता गुलशन कह दे
तो वो भी पतझड़ में उजड़ जाते है
तेरा हुस्न तो है बेजोड़

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