रैन बसेरा
शाम का झुट पुटा था
संध्या रानी के साथ
सूरज रंगो की होली खेल कर
पश्चिम की घाटी में छिप रहा था
पक्षी,अपने अपने रैन बसेरो में
जाने को आतुर हो कर
बड़े जोर शोर से चहक-चहक कर
पेड़ पौधों को कर रहे थे गुंजारित
अपने संगी-साथी के साथ
रात बिताने को आतुर
रैन बसेरा होता है कितना सुखदायी
शाम का झुट पुटा था
संध्या रानी के साथ
सूरज रंगो की होली खेल कर
पश्चिम की घाटी में छिप रहा था
पक्षी,अपने अपने रैन बसेरो में
जाने को आतुर हो कर
बड़े जोर शोर से चहक-चहक कर
पेड़ पौधों को कर रहे थे गुंजारित
अपने संगी-साथी के साथ
रात बिताने को आतुर
रैन बसेरा होता है कितना सुखदायी
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