Tuesday, 12 July 2016

बेटी

बेटी 
वो आँगन है सूना 
जहाँ होती नहीं है बेटी 
वो लोग बदनसीब है 
जिनके होती नहीं है बेटी 
सुबह की किरण है बेटी
फूलों की मुस्कान है बेटी
वो लोग बदनसीब है
जिनके होती नहीं है बेटी
ओश की बून्द है बेटी
घर की बुनियाद है बेटी
अनेक रिश्तों का नाम है बेटी
दोनों कुल का लाज रखती है बेटी
भ्रूण हत्या मत करो कहती है बेटी
वो आँगन है सूना ........

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