प्रिय तुम क्यों चली गई
प्रिय तुम क्यों चली गई
मुझे तन्हा छोड़ कर
ता उम्र साथ रहने का वादा किया
उस वादे का क्या हुआ
अकेले घर की दीवार भी लगती है काटने
घर के कोने भी लगते हैं सिसकने
खिड़की दरवाजे भी रहते है खामोश
ये हवाए भी आग उगलती है
प्रिय तुम क्यों चली गई
मुझे इस विरह की आग में जलने को
तुम्हारी याद में ये बेजान चीजे भी है तड़फाती
जीवन में बड़ा अधूरा पण लगता है
सब सूना-सूना लगता है
प्रिय तुम क्यों चली गई
हमारी दुनिया विरान कर गई
ऐसी कौन गलती हुई
जो मुझे इतनी बड़ी सजा मिली
यही मुझे ईश्वर से है शिकायत
प्रिय तुम क्यों चली गई
मुझे भी अपने पास बुला ले
जिससे मुझे भी सुकून मिले
प्रिय तुम क्यों चली गई
मुझे तन्हा छोड़ कर
ता उम्र साथ रहने का वादा किया
उस वादे का क्या हुआ
अकेले घर की दीवार भी लगती है काटने
घर के कोने भी लगते हैं सिसकने
खिड़की दरवाजे भी रहते है खामोश
ये हवाए भी आग उगलती है
प्रिय तुम क्यों चली गई
मुझे इस विरह की आग में जलने को
तुम्हारी याद में ये बेजान चीजे भी है तड़फाती
जीवन में बड़ा अधूरा पण लगता है
सब सूना-सूना लगता है
प्रिय तुम क्यों चली गई
हमारी दुनिया विरान कर गई
ऐसी कौन गलती हुई
जो मुझे इतनी बड़ी सजा मिली
यही मुझे ईश्वर से है शिकायत
प्रिय तुम क्यों चली गई
मुझे भी अपने पास बुला ले
जिससे मुझे भी सुकून मिले
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