Monday, 21 September 2015

होली आयी

होली आयी


होली आयी, होली आयी
        हुडदंग और उल्लास  साथ लाई
सभी भेदभाव भूल कर 
        एक रंग मे रंग जाने का  संदेश लाई
होली आयी, होली आयी
        अपनों का साथ, रंगो की बौछार लाई
माँ के बनाये गुझियों का  स्वाद
         उसमे मे माँ का  प्यार भर लाई
होली आयी, होली आयी
हिन्दू - मुस्लिम सिख ईसाई
         सब ने मिल कर धूम मचाई
हरा, पीला, लाल, गुलाल
         सब के मन को खूब भाइ
होली आयी, होली आयी
         हुडदंग और उल्लास  साथ लायी

हरि द्वार




हरि द्वार

हरि द्वार सच में हरि का द्वार है

यहाँ के पक्षी बोले हरि हरि

मंदिर  के घंटे की ध्वनि में भी हरि हरि

स्वच्छ गंगा की कल-कल में भी हरि हरि

हरि द्वार सच में हरि का द्वार है

यहाँ के वृक्ष भी बोले हरि हरि

यहाँ की गाये पशु  पक्षी बोले हरि हरि

शिव जी की डमरू बोले हरि हरि

मोक्ष का द्वार है हरिद्वार

पूरे वातावरण में व्याप्त है हरि हरि

पंडित की शंख की नाद में हरि हरि

मुक्ति का मार्ग है हरिद्वार

हरिद्वार सच में हरि का द्वार है

प्रकृति का अनुपम रूप



प्रकृति का अनुपम रूप

प्रात: कालीन सूर्य की चम चम किरण

बादलो में झांकता हुआ चाँद

उसकी चारो और फैली चांदनी

जुगनुओ की तरह टिमटिमाते तारे

प्रकृति का कितना अनुपम रूप है

बृक्षों के बीच निकलती

शीतल मंद पवन

पत्तो की सरसराहट

मिटटी की सोंधी खुश्बू

प्रकृति का कितना सुन्दर रूप है

रंग बिरंगे सुन्दर

मनभावन सुगंध

वाले पवित्र फूल

पत्तो पर फिसलते

ओस की बूंदे

प्रकृति का कितना सुन्दर रूप है

कल कल करता झरना

भोरे की गुन्जन

कोयल की कुहू कुहू

पपीहे की पिहु पिहु

बच्चे की निश्छल हंसी

प्रकृति का कितना अनुपम रूप है

चुनावी शंखनाद

चुनावी शंखनाद

बज गया चुनावी शंखनाद
     सभी नेता हुए सजग
करने लगे चहल पहल
     करने लगे जनता से गुहार
वोट देने आना है जरूर
     करने लगे जनता से मनुहार
अगर चुनना है अच्छा प्रतिनिधि
      लोकतांत्रिक गण राज्य मे
जनता अपने मताधिकार का
      करे सही प्रयोग
सही नेता का चुनाव कर
      सभी वर्गों का करे कल्याण
पनपने न दे भ्रष्टाचार
      और महंगाई अत्याचार
बज गया चुनावी शंखनाद

Sunday, 20 September 2015

ईश्वर की महिमा

ईश्वर की महिमा

जिसने सूरज चाँद बनाया
जिसने तारो को चमकाया
जिसने चिड़ियों को चहकाया
जिसने फूलो को महकाया
जिसने कल कल करती,
नदियों को बहना सिखाया
जिसने पर्वतो को शीश उठा कर ,
खड़े रहना सिखाया
जिसने बच्चो के मन को निश्छल बनाया
जिसने सारा जगत बनाया
हम उस ईश्वर के गुण गाये
उसको अपने स्वछ मन में बिठाए
उसे प्रेम से  शीश झुकाए

किताबे नही तो कुछ भी नही

किताबे नही तो कुछ भी नही


किताबे नही तो कुछ भी नही,
किताब न हो तो कैसे हो बुद्धि का विकास
कैसे हो तार्किक विकास
कैसे सीखे जिंदगी जीना
किताबे नही तो कुछ भी नही
किताबे ले जाती है वास्तविक दुनिया के करीब
मोबाइल पर हो जाते निर्भर
तो कैसे हो शब्दों के ज्ञान
किताबो के प्रति दिलचस्पी न हो तो
कैसे हो व्यक्तित्व का विकास
क़िताब सीखाती तरक्की की राह
किताब न हो तो कैसे हो कल्पना,बौद्धिक विकास
किताबे नही तो कुछ भी नही

हमारे प्यारे नेता नरेंद्र मोदी जी

हमारे प्यारे नेता नरेंद्र मोदी जी  
हमारे प्यारे नेता नरेंद्र मोदी जी
रत्नों में सबसे अच्छा सफ़ेद मोती,
नेताओ में सबसे अच्छा नरेंद्र मोदी
उनका ललाट ऊँचा,
विचार आसमान से भी ऊँचा
आँखें आशाओ से भरी हुई,
मन मोहिनी छवि उनकी
ऐसे हैं हमारे नेता नरेंद्र मोदी
सब का साथ सबका विकास ,
उनका यही है नारा
स्वछता का पाठ उन्होंने पढ़ाया
गंगा मइया के परम पुजारी
उनके राज्य में बढ़ती खुशहाली
ऐसे हैं हमारे नेता नरेंद्र मोदी

Thursday, 3 September 2015

इतने निर्दयी हो जाओगे

                          इतने निर्दयी हो  जाओगे 



हे : प्याज तुम इतने निर्दयी हो जाओगे,
      यह तो सपने में भी न सोचा था
एक महीने से तुम मेरी रसोई में न आओगे,
     ऐसा तो  मैंने सोचा ही न था
आज कल तो अच्छी अच्छी सब्जियों की,
       हेकड़ी मिटा दी तुमने
तुम केवल सब्ज़ी मंडी में नज़र आओगे,
      हे प्याज तुम इतने निर्दयी हो जाओगे
ये तो सपने में भी न सोचा था
     सब्ज़ी की इस रेस में तुम
सबको पीछे छोड़ गए
     हम यह नहीं कहते की
तुम पीछे रह जाओ
     लेकिन गरीब की थाली में तो
कभी कभी दिख जाओ
     त्योहार के मौसम में तो
रसोई में तुम झाँक लिया करो
      हे : प्याज तुम इतने निर्दयी हो जाओगे ,
ये तो सपने में भी न सोचा था