ईश्वर की महिमा
जिसने सूरज चाँद बनाया
जिसने तारो को चमकाया
जिसने चिड़ियों को चहकाया
जिसने फूलो को महकाया
जिसने कल कल करती,
नदियों को बहना सिखाया
जिसने पर्वतो को शीश उठा कर ,
खड़े रहना सिखाया
जिसने बच्चो के मन को निश्छल बनाया
जिसने सारा जगत बनाया
हम उस ईश्वर के गुण गाये
उसको अपने स्वछ मन में बिठाए
उसे प्रेम से शीश झुकाए
जिसने सूरज चाँद बनाया
जिसने तारो को चमकाया
जिसने चिड़ियों को चहकाया
जिसने फूलो को महकाया
जिसने कल कल करती,
नदियों को बहना सिखाया
जिसने पर्वतो को शीश उठा कर ,
खड़े रहना सिखाया
जिसने बच्चो के मन को निश्छल बनाया
जिसने सारा जगत बनाया
हम उस ईश्वर के गुण गाये
उसको अपने स्वछ मन में बिठाए
उसे प्रेम से शीश झुकाए
This was taken from class 1 Hindi book of of MP board ...
ReplyDeleteVery nice poem
ReplyDeletethis is very good poem on creator ( power of creation of universe). it defines works of the creator. by seeing these creations one can imagine that universe is created intelligently by a creator. no creature of the universe can create all these creations. it is also told in this poem that we should remember our creator who is omnipresent, omnipotent, intelligent and formless (so birthless (ajanma) and so deathless (amar). invisible (no idol can be formed of that power. so rememberig that power so nirakar) we should respect the power by respecting and using creation correctly and properly. more can be written on this matter but I stop here due to shortage of time an space. as i remember this poem was 1st capter in class 2nd in up.
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