Monday, 21 September 2015

प्रकृति का अनुपम रूप



प्रकृति का अनुपम रूप

प्रात: कालीन सूर्य की चम चम किरण

बादलो में झांकता हुआ चाँद

उसकी चारो और फैली चांदनी

जुगनुओ की तरह टिमटिमाते तारे

प्रकृति का कितना अनुपम रूप है

बृक्षों के बीच निकलती

शीतल मंद पवन

पत्तो की सरसराहट

मिटटी की सोंधी खुश्बू

प्रकृति का कितना सुन्दर रूप है

रंग बिरंगे सुन्दर

मनभावन सुगंध

वाले पवित्र फूल

पत्तो पर फिसलते

ओस की बूंदे

प्रकृति का कितना सुन्दर रूप है

कल कल करता झरना

भोरे की गुन्जन

कोयल की कुहू कुहू

पपीहे की पिहु पिहु

बच्चे की निश्छल हंसी

प्रकृति का कितना अनुपम रूप है

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