Thursday, 3 September 2015

इतने निर्दयी हो जाओगे

                          इतने निर्दयी हो  जाओगे 



हे : प्याज तुम इतने निर्दयी हो जाओगे,
      यह तो सपने में भी न सोचा था
एक महीने से तुम मेरी रसोई में न आओगे,
     ऐसा तो  मैंने सोचा ही न था
आज कल तो अच्छी अच्छी सब्जियों की,
       हेकड़ी मिटा दी तुमने
तुम केवल सब्ज़ी मंडी में नज़र आओगे,
      हे प्याज तुम इतने निर्दयी हो जाओगे
ये तो सपने में भी न सोचा था
     सब्ज़ी की इस रेस में तुम
सबको पीछे छोड़ गए
     हम यह नहीं कहते की
तुम पीछे रह जाओ
     लेकिन गरीब की थाली में तो
कभी कभी दिख जाओ
     त्योहार के मौसम में तो
रसोई में तुम झाँक लिया करो
      हे : प्याज तुम इतने निर्दयी हो जाओगे ,
ये तो सपने में भी न सोचा था

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